मीना और नितिन की शादी को 8 वर्ष हो चुके हैं। नितिन एक बड़ी कंपनी में उच्च पद पर कार्यरत है। मीना ने स्नातक तक पढ़ाई की है तथा उसने हाउस मेकर बनना ही पसंद किया।शादी के 2 वर्ष बाद मीना प्रेग्नेंट हो गई। समय आने पर एक बहुत प्यारे खूबसूरत बेटे की मां बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। चूंकि नौकरी के कारण वे शहर में अकेले रहते थे इसलिए बच्चे की परवरिश का पूरा भार मीना पर ही था।आजकल के अभिभावक बच्चों से कुछ छुपाते नहीं है ।जैसे पहले हुआ करता था बच्चों से काफी बातें छुपाई जाती थी।बच्चों की सामने मासिक धर्म, गर्भधारण, स्तनपान या सेक्स संबंधी कोई भी बात करना निषेध होता था। इसके अलावा भी काफी सारी बातें बच्चों को नहीं बताई जाती थी।मीना और नितिन भी यही सोच रखते थे कि बच्चों को सही जानकारी समय-समय पर देते रहना चाहिए वरना वे बाहर से गलत जानकारी लेकर जीवन में कुछ भी गलत कदम उठा सकते हैं।इसलिए वे बंटी के साथ खेलते ,मस्ती करते या बाहर घूमने फिरने जाते उसे तरह-तरह की जानकारी देते रहते थे। कई बार बंटी मीना के पेट पर चढ़ जाता। वह उसे कहानियां सुनाती,हंसी मज़ाक करती। फिर उसे कहानी सुनाने के लिए कहती। जब वह अपनी टूटी फूटी भाषा में कहानियां सुनाता तो मीना निहाल हो जाती। मीना और नितिन उस पर बेइंतहां प्यार लुटाते। ऐसे ही बड़ा खुशगवार समय बीतता गया।बंटी 3 साल का हुआ तो मीना दोबारा गर्भवती हो गई। उनकी योजना थी कि दूसरे बच्चे के बाद उनका परिवार सीमित हो जाएगा । मीना के मन में विचार उठने लगे कि उसकी बदलती शारीरिक अवस्था को देखकर बंटी रोज नए सवाल पूछेगा तो वह क्या जवाब देगी? और वही हुआ । जब कभी मीना को उल्टी होती तो वह हैरानी से पूछता-” मम्मी यह रोज-रोज आपको क्या होता है ? क्यों उल्टी होती है? ” कभी वह थकान और सुस्ती से लेटी रहती तो पूछता -“आप मेरे साथ खेलो ना लेटी क्यों हो?”जब वह उसे गोदी में नहीं उठाती तो नाराज होकर कहता -” मुझे उठाओ ना। क्यों नहीं उठाती मुझे प्यार नहीं करती क्या?”मीना कुछ ना कुछ बहाने बनाकर उसे टाल देती। ६ महीने बीत चुके थे ।अब जब बंटी उसके पेट पर बैठने की जिद करता तो वह मना कर देती -” बेटा मेरे पेट में दर्द है…”दो-चार बार तो वह चुप रहा फिर एक दिन गुस्से में बोला -” यह आपको रोज रोज पेट में दर्द क्यों होता है पहले तो नहीं होता था “।नितिन से इस बारे में बात करने के बाद आखिर उसने एक दिन बंटी से कह दिया -” बेटा अब हमारे घर एक छोटा बेबी आने वाला है …”बंटी खुशी से नाचने लगा -” सच्ची ? कहां है वह?”मीना पेट की ओर इशारा करके बोली – ” यहां है..””इसलिए आपका टमी इतना बड़ा हो रहा है?”वह कुतूहल से बोला। मीना ने हंसते-हंसते हां कहा तो वह बोला-” यह बाहर कब आएगा ?कैसे आएगा?”” डॉक्टर अंकल बाहर निकालेंगे ….””उनसे कहो ना जल्दी निकालें, मुझे उसके साथ खेलना है…”उसकी अधीरता देख मीना ने कहा कि वह २-३ महीने के बाद आएगा।समय पूरा हुआ और मीना ने एक सुंदर सी बेटी को जन्म दिया। जब बंटी को अस्पताल ले जाकर बेटी को दिखाया तो वह बहुत खुश हुआ और बोला-” कितनी प्यारी , स्वीट गुड़िया है!” फिर मीना से बोला -” मम्मी , अभी आपका पेट का दर्द ठीक हो गया ना । अब मैं उस पर बैठ सकता हूं ना?”मीना ने मुस्कुराते हुए हां में सिर हिलाया। अब मीना दोनों बच्चों की परवरिश में पूरी तरह से व्यस्त हो गई थी। बंटी भी अपनी बहन शीना को बहुत प्यार करता था ।कभी उसके हाथ चूमता, कभी पैर ,कभी चेहरा । कभी उसके बालों से खेलता और कहता -” कितनी क्यूट है। “अब मीना और नितिन के बेडरूम में ही बंटी के लिए अलग छोटा पलंग लगा दिया । वह जिद करने लगा कि उसे भी मम्मी पापा के साथ ही सोना है। बहुत पुचकारने, समझाने के बाद जाकर वह माना। अब वह मम्मी और शीना की गतिविधियों पर ध्यान देने लगा था। जब मीना बेटी को नहलाती तब वह खड़े होकर देखता रहता। जब उसे स्तनपान कराती तब भी उसे बड़े ध्यान से देखता और पूछता -” यह क्या कर रही है?””वह फीड कर रही है । जैसे तुम खाना खाते हो न वैसे वह भी खाना खा रही है।”मीना के कहते ही वह पूछता -” लेकिन इसके दांत तो है नहीं यह खाना कैसे खा रही है?”फिर मीना उसे समझाती कि वह दूध पी रही है। वह बड़ी हैरानी और कोतूहल से देखता रहता।दिन बीतते गए। अब शीना लगभग 2 वर्ष की हो गई थी। बंटी और शीना के लिए अब दूसरे कमरे में सोने की व्यवस्था की गई। दोनों बच्चों को सुलाने के बाद मीना अपने बेडरूम में आती ।नितिन और मीना गहरी नींद में थे। तभी उन्हें दरवाजा खटकाने तथा बंटी के रोने की आवाज आई । मीना ने उठकर जल्दी से दरवाजा खोला -” बेटा क्या हुआ? क्यों रो रहे हो?”बंटी मीना से चिपक गया -” मुझे डर लग रहा था आपने दरवाजा क्यों बंद किया?””चलो मैं चलकर तुम्हारे साथ सोती हूं ..” कहकर मीना उसे उनके कमरे में ले गई ।उसके साथ लेट कर उसके बालों में हाथ फिराते, थपथपाते हुए उसे सुलाने लगी।अब मीना ने रात को बेडरूम का दरवाजा लॉक करना बंद कर दिया था। केवल कुछ समय के लिए अपने अंतरंग क्षणों में वह दरवाजा बंद करती थी। बाकी के समय दरवाजे को केवल उढ़का देते थे।आज शनिवार था कल सवेरे नितिन के ऑफिस तथा बंटी के स्कूल की छुट्टी थी ।सवेरे उठने की कोई जल्दी नहीं थी। इसलिए नितिन और मीना बच्चों के साथ काफी देर तक खेलते रहे ,मस्ती करते रहे ।सभी रात को देर से सोए।देर रात को नितिन की नींद खुली ।उसने मीना को आगोश में ले लिया। नींद के झोंकों में ही दोनों अंतरंग क्षणों के आनंद में खो गए ।मीना को ध्यान ही नहीं रहा कि दरवाजे को लॉक नहीं किया है। अचानक बंटी की आवाज आई -“मम्मा प्यास लगी है,…..” वह कमरे के अंदर तक आ गया था।नितिन मीना ने जल्दी से स्वयं को संभाला ।मीना बोली -” तुम चलो मैं आती हूं पानी लेकर…”। बंटी को पानी पिला कर वह उसके पास ही लेट गई। जिसका उसे डर था वही हुआ ।बंटी बोला -” मम्मा , आप और पापा क्या कर रहे थे? लड़ रहे थे क्या ?”मीना शर्म तथा तनाव के कारण पसीना पसीना हो गई। समझ ही नहीं आया कि उसे क्या जवाब दे। फिर उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बड़े प्यार से बोली -” बेटा , अभी सो जाओ बहुत देर हो गई है कल हम बात करेंगे “।बंटी के सोने के बाद जब अपने कमरे में आई तो नितिन भी जाग रहा था। मीना बोली -“नितिन बंटी के सवालों का हम क्या जवाब देंगे? उसने हमें आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया है। पता नहीं वह क्या क्या सवाल करेगा? उसके बाल मन पर गहरा असर पड़ेगा अब क्या करें?”नितिन भी नहीं समझ पा रहा था कि बंटी के सवालों के क्या जवाब देंगे। दोनों ही स्वयं को उस अपराध के लिए अपराध ग्रस्त पा रहे थे जो उन्होंने किया ही नहीं था। हां यह उनकी लापरवाही , बेध्यानी अवश्य थी । वे यही सोच रहे थे कि किसी बाल मनोवैज्ञानिक से मिलकर इस विषय पर कुछ उनके सुझाव लिए जाऐं। बढ़ते हुए बच्चे तो जिज्ञासा वश नए-नए सवाल करेंगे । उनके हर सवाल का जवाब किस तरह दिया जाए यह भी तनाव का मुद्दा बन जाता है।दोस्तों , आजकल के बच्चे बहुत जिज्ञासु है तथा उनकी निरीक्षण शक्ति बहुत मजबूत है। उन्हें अपने हर सवाल का जवाब चाहिए। कई बार अभिभावक उनके सवालों के जवाब देने में असमंजस में पड़ जाते हैं। वे समझ नहीं पाते कि बच्चों की उम्र के हिसाब से उन्हें क्या जवाब दिया जाए ? कैसे समझाया जाए ? अगर उनके सवालों से खीझकर उन्हें डांट डपट देंगे या टालने के अंदाज में उन्हें उल्टा पुल्टा जवाब दे देंगे या बहलाने के लिए झूठ मूठ कुछ बोल देंगे तो यह उनके भविष्य के लिए बहुत खतरनाक हो सकता है। बहुत धैर्य से सोच समझकर ही जवाब देना चाहिए।आपको मेरी कहानी कैसे लगी ? अगर अच्छी लगी हो तो लाइक, कमेंट और शेयर अवश्य करें ।अगर आप चाहे तो मुझे फॉलो भी कर सकते हैं ।धन्यवाद ।आपकी सखीनरेंद्र कौर छाबड़ा
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