संजय गुप्ता, INDORE.केक्स एंड क्राफ्ट के ऑनर मनीष लुल्ला की मौत की गुत्थी और उलझ गई है। जिंदादिल इंसान के ऐसे जाने से सभी करीबी सदमे में हैं। वहीं पुलिस की जांच में अभी तक यही सामने आया है कि वह मंगलवार (4 अक्टूबर) को सुबह जब फैक्टरी पहुंचे थे तो उदास थे, फिर दोपहर दो बजे फैक्टरी से वापस अपने मनोरमागंज स्थित फ्लैट के लिए निकले थे। रास्ते में रूककर मोबाइल व कुछ सामान उन्होंने कहीं फैंक दिया था। यानि वह नहीं चाहते थे कि उनकी कोई जरूरी बात, चैट किसी के हाथ लगे। पुलिस को जांच में मनीष एक सीसीटीवी फुटेज में सामान फैंकते नजर आए हैं। माना जा रहा है कि यह मोबाइल व अन्य सामान था, जो उनकी मौत के बाद कहीं नहीं मिला है। दोपहर बाद फ्लैट में पहुंचने के बाद ही उन्होंने मौत को गले लगाने की तैयारी शुरू कर दी थी। पुलिस ने घटनास्थल फ्लैट की पूरी जांच की लेकिन कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है।
पहले हाथ की नस काटी, फिर फंदा बनाया
लुल्ला किसी भी हाल में उस दिन जिंदगी को अलविदा ही कहना चाहते थे। पुलिस जांच में आया है कि उन्होंने पहले हाथ की नस काटने की कोशिश की। यह नहीं होने पर, उन्होंने सलवार और दुपट्टे से फंदा बनाया और फिर पंखे से लटककर आत्महत्या की कोशिश की। इस दौरान पंखे और जमीन के बीच में ऊंचाई कम थी। ऐसे में खुद को फंदे पर झूलाने के लिए उन्होंने दोनों पैर ही मोड़ लिए, जिससे पैर जमीन पर नहीं टिके और खुद का जीवन बचाने की वह कोशिश भी नहीं कर सकें।
फ्लैट का किराया नहीं दिया, बात आर्थिक तंगी पर आ रही
पुलिस के पास कुछ लोगों के बयान से यह भी बात सामने आ रही है कि वह कुछ माह से आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे। जिस फ्लैट में रहते हैं वह फाइनेंसर मोनु दुआ का है और कुछ माह से इसका किराया नहीं दिया था। एक टाउनशिप में भी उनका फ्लैट है, इसकी भी उन्होंने किश्त नहीं दी थी। फिलहाल परिजनों के बयान अभी तक नहीं हुए हैं, क्योंकि पत्नि जैस्मिन की हालत अभी भी ठीक नहीं है और वह इस सदमे से उबर नहीं पा रही हैं।
इस तरह हुआ होगा उस दिन घटनाक्रम
अभी तक जो बातें सामने आई है उससे पुलिस को अंदाजा है कि उस दिन पूरा घटनाक्रम इस तरह हुआ होगा- सब अचानक नहीं किया, पहले से ही तय था कि मौत को गले लगाना है। सुबह वह रूटीन फैक्टरी गए और दोपहर करीब दो-ढाई बजे अपने फ्लैट लौट आए। मोबाइल भी जानबूझकर डिस्ट्राय किया। उन्हें पता था कि वह दिन में घर में अकेले होंगे, पत्नी जैस्मिन सुबह जाती है और रात आठ के बाद ही घर आती है। दोनों बच्चे पहले ही मुंबई में पढ़ाई के लिए जा चुके थे। आर्थिक या अन्य जो भी परेशानिया थी वह हावी हो गई थी। घर पहुंचने के बाद उन्होंने मरने की तैयारी कर ली थी। पहले हाथ से नस काटने की कोशिश की, लेकिन यह कठिन तरीका लगा होगा, इसे त्याग दिया, फिर फंदा बनाकर फांसी लगाने की तैयारी की। घर में रस्सी नहीं थी, तो पत्नी के सलवार और दुपट्टे से मजबूत फंदा बनाया। फंदे और जमीन के बीच में ऊंचाई कम थी तो पैर मोड़कर खुद को फांसी लगा ली। पत्नी और दोस्त इस दौरान उन्हें फोन लगा रहे थे, लेकिन किसी का भी फोन नहीं लग रहा था। रात 9 बजे करीब जब पत्नी घर पहुंची, ना डोर बैल बजी और ना ही मनीष ने फोन उठाया। इसके बाद उन्होंने एक चाबी वाले को बुलाया और रात दस-साढ़े दस बजे करीब फ्लैट खुला। अंदर मनीष को इस हालत में देख जैस्मिन बेहोश हो गई। कुछ दोस्तों को फोन कर उन्हें तत्काल निजी अस्पताल ले गए, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।