भोपाल की रहने वाली गुंजन तिवारी अपने घर के एक छोटे से कमरे में बैठकर दहेज प्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं। 26 साल की गुंजन घर की सबसे बड़ी बेटी है। वह कम्प्यूटर साइंस में ग्रेजुएट हैं। साल 2017 में गुंजन भोपाल से ही पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही थीं। इसके बाद वो एमबीए करना चाहती थीं, लेकिन फाइनल ईयर खत्म होता, इससे पहले ही उसका बायोडाटा बन गया। यह बायोडाटा किसी नौकरी के इंटरव्यू के लिए नहीं था। इसमें गुंजन का नाम, जन्म तिथि, परिवार की जानकारी, उनकी इनकम, भाई-बहन की शैक्षिक योग्यता और गृहों की दशा के बारे में लिखा था।
गुंजन से जानिए दहेज प्रथा के खिलाफ लड़ाई कैसे और क्यों शुरू की? क्या चुनौतियां रहीं?
साल 2017 की बात है। मैं पीजी कर रही थी। मुझे एक कॉल आया। फोन पर किसी पुरुष की आवाज थी। वह मुझसे शादी करना चाहता था। मैं आश्चर्य में थी कि मुझसे ऐसा कोई क्यों बोल रहा है। किसी से भी शिकायत करने से पहले मैंने मां को बताया। तब मां ने कहा कि परिवार में सबसे बड़ी बेटी मैं हूं। अब मेरी शादी की उम्र हो चुकी है। मैं तब 22 साल की थी। मैं कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज से आती हूं। हमारे समाज के वॉट्सएप ग्रुप में मां ने मेरा बायोडाटा बनाकर डाल दिया था। साथ ही, 2-3 तस्वीरें भी शेयर की थीं। मेरे माता-पिता जल्द मेरी शादी कराना चाहते थे। मेरे पापा उस दौरान सरकारी नौकरी में थे। शादी के लिए लड़का देखते समय उनकी पहली पसंद सरकारी नौकरी थी। उनका इरादा साफ था। वह मेरे लिए सरकारी नौकरी करने वाला लड़का ढूंढने लगे थे।
मैंने पापा से कहा कि पीजी के बाद मैं एमबीए करना चाहती हूं। देश के प्रख्यात आईआईएम कॉलेज में दाखिला लेने की इच्छा है। उन्होंने मुझे साफ मना कर दिया। पापा का मानना था कि उन्होंने सारी जमा पूंजी मेरी शादी के लिए रखी है। लड़की को बस उतना पढ़ना चाहिए कि वो वॉट्सएप पर मैसेज टाइप कर ले।
पापा के भोपाल में दो मकान हैं। आप समझ सकते हैं कि मध्यमवर्गीय परिवार के लिए खुद की प्रॉपर्टी बनाना कितना मुश्किल है, लेकिन ये दो मकानों से हमारा लेना-देना नहीं था। उन्होंने ये मकान मेरे और मेरी छोटी बहन की शादी के लिए बनवाए हैं। शादी के समय यह हमारे पति को दिए जाएंगे। एक फ्लैट की कीमत 30 लाख रुपए है। हमारे परिवार की परंपरा है, बिना दहेज दिए शादी नहीं होती। मैंने जैसे-तैसे मन को शादी के लिए मनाया। सारे सपने साइड रख दिए थे।
लड़का मुझे देखता था और ‘डिस्काउंट’ देता था
लड़का देखने का प्रोसेस काफी पीड़ादायक था। मेरा आत्मसम्मान टूट गया। लड़की को उसकी काबिलियत पर नहीं पसंद किया जाता। वह कितनी सुंदर है, इस बात पर निर्णय लिया जाता है। जब पहली बार मुझे लड़के वाले देखने आए, उन्होंने मुझे पसंद कर लिया था। कुछ दिन बाद उनका कॉल आया कि आपकी लड़की चश्मा पहनती है। उसके दांत टेढ़े हैं। हम डिस्काउंट देते हैं। मुझे समझ ही नहीं आया ‘डिस्काउंट’ का क्या मतलब है?
कोई भी परिवार सामने से दहेज की मांग नहीं करता। वे घुमाकर बातें बोलते हैं। एक बार मेरा रिश्ता भोपाल के बड़े परिवार में तय हो गया था। लड़का डॉक्टरी की पढ़ाई यूएसए से करके आया था। भोपाल के एक अस्पताल में काम करता है। उसके माता-पिता ने कहा कि एमबीबीएस करने में बहुत खर्च आता है। 5 साल में जितना खर्च आया, उतना शादी में लगा दीजिए। जाहिर सी बात है कि विदेश में एमबीबीएस करने का खर्चा करोड़ों में आता है।
सरकारी नौकरी करने वाले लड़के सबसे ज्यादा भ्रष्ट हैं। वे सीधा कहते थे कि ‘आप लड़के को जो देना चाहते हैं अपने हिसाब से दे दीजिए। आपने अपनी बेटी के लिए जो सोचा है, वो दे दीजिए।’ वो एग्जैक्ट कोई नंबर नहीं बोलते थे, लेकिन उनके बोलने का मतलब यह होता था कि आपकी प्रॉपर्टी में तीन हिस्से होंगे, क्योंकि हम तीन भाई-बहन हैं। आपकी बड़ी बेटी के हिस्से में जितना आ रहा है, उतना पैसा नकद दे दीजिए।
कोई अंगूठी का वजन जानकर रूठ जाता, तो कोई चम्मच भी दहेज में मांगता
ये जो लोग बोलते हैं कि ‘अपने हिसाब से देख लीजिए’ वो शादी के दिन तक कुछ न कुछ मांगते रहते हैं। मेरी कजिन बहन की शादी थी। डोसा स्टॉल पर खाना खत्म हो गया था। इसके लिए लड़के के पिता कुर्सी उठाकर लड़की के पिता को मारने के लिए उठ गए। यह सब मेरे सामने हो रहा था। ऐसा एक बार और हो चुका है। मेरी बहन की शादी तय हुई थी, जो उत्तर प्रदेश में ग्रुप- डी टेक्नीशियन है। उसकी सैलरी 25,000 रुपए है। उसने 14 लाख दहेज लिया था। क्योंकि लड़का सरकारी नौकरी में है, जिसका मतलब है कि जीवनभर की सुरक्षा है।
शादी वाले दिन मेरी बहन दुल्हन बनकर तैयार खड़ी थी। वरमाला का समय हो गया था। उसी समय लड़के ने डिमांड रख दी कि जब तक लड़की का परिवार बुलेट नहीं देगा, वो वरमाला नहीं पहनाएगा। लड़की के परिवार ने बहुत समझाया कि उन्हें बुलेट देने में आपत्ति नहीं, लेकिन यह बात पहले बतानी चाहिए थी। हम इंतजाम करके रखते।
लड़के ने कहा, बाइक नहीं दे सकते, तो दो लाख रुपए देने होंगे, तभी मैं लड़की के गले में माला डालूंगा। मेरे परिवार में यह आम सी बात है। मेरे परिवार के लड़कों को भी यही लगता है कि दहेज मांगना उनका हक है। शादी के वक्त ‘रूठना’ शगुन है। कोई इस बात से रूठ जाता है कि सगाई में अंगूठी का वजन कम है। मुझे तो भारी अंगूठी या भारी सोने की चेन मिलनी चाहिए थी।
मेरी चाची के लड़के की हाल ही में शादी हुई है। शादी में लड़की के परिवार ने 80 लाख खर्च किए। उन्होंने छोटी से छोटी चम्मच और कटोरी, बड़ी सी बड़ी चीज वॉशिंग मशीन, फ्रिज, सोफा और एसी लड़की वालों से मांगा है। लड़के ने केवल बीएससी की पढ़ाई की है, जबकि उनकी पत्नी दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। दोनों की इनकम में जमीन-आसमान का अंतर है। फिर भी लड़के वालों के नखरे होते हैं। उन्होंने किस कंपनी का टीवी-फ्रिज चाहिए, इसकी भी लिस्ट बनाई थी।
परिवार ने मुझे हर जगह से बेदखल कर दिया है
मुझे दहेज के कारण कई रिजेक्शन सहने पड़े। मैंने जब अपने घर में देखा कि लड़कियों को दहेज के नाम पर प्रताड़ित किया जाता है, तो मुझे गुस्सा आता था। मैं नहीं चाहती कि मेरे साथ भी ऐसा हो। मेरे घर पर दहेज देने की प्रथा है, लेकिन मैं इसके खिलाफ हूं, इसलिए पिछले 6 साल में मुझे कई लड़के देखने आए, लेकिन किसी ने शादी के लिए हां नहीं की।
मेरा परिवार मेरे खिलाफ है। उन्होंने मान लिया है कि मुझसे कोई लड़का शादी नहीं करेगा। मैं कुंवारी रह जाऊंगी। मैं कलंक हूं। मैं उनके लिए जीवित नहीं हूं। वह नहीं चाहते कि मेरी सोच का प्रभाव मेरी छोटी बहन या घर के किसी अन्य सदस्य पर पड़े, इसलिए वो मुझे घर से नहीं निकलने देते। मैं तंग आ गई थी। मैंने एक एनजीओ ‘चेंज डॉट ओआरजी’ का विज्ञापन देखा। यह एक फैलोशिप थी, जिसमें ऐसी महिलाओं से आवेदन करने को प्रेरित किया गया था, जो समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ लड़ना चाहती हैं। यह ऑनलाइन वर्कशॉप थी। मैंने अप्लाई कर दिया और सिलेक्ट भी हो गई।
हर शनिवार और रविवार ऑनलाइन क्लास होती थी। माता-पिता को शक था कि मैं कमरे में बैठी कुछ अलग कर रही हूं। जब उन्होंने पूछा, तो मैंने सच बता दिया। उन्हें लगता है कि मैं सोशल वर्क करती हूं, लेकिन यह नहीं पता कि किस बारे में है। जब इस वर्कशॉप के लिए बेंगलुरु जाना था, तब भी उन्होंने विरोध किया। मेरा उनसे झगड़ा हुआ। उनका कहना था कि वे मुझे इंदौर से दूर नहीं जाने देंगे। मैंने ठान लिया था, जिस तरह मुझे दहेज के लिए अपमान सहना पड़ा। मैं दूसरी लड़की को इसका शिकार नहीं बनने दूंगी।
दोस्त बोला- दहेज के लिए इतनी मेहनत की
गुंजन कहती हैं कि जब मैंने दोस्तों को याचिका भेजी, उनकी तरफ से कई नकारात्मक प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। मेरा एक दोस्त आईआईएम अहमदाबाद से एमबीए कर रहा है, उन्होंने साइन करने से मना कर दिया। उसका कहना था कि मैंने इसीलिए इतनी मेहनत की है, ताकि आईआईएम में दाखिला ले सकूं और मुझे ज्यादा दहेज मिले।
पढ़ी- लिखी लड़कियां भी दहेज के लिए हो रहीं प्रताड़ित
वैशाली भोपाल के करोंद की रहने वाली हैं। वह फैशन डिजाइनर है। ऑनलाइन कपड़े बेचती हैं। पिता पुलिस में काम करते हैं। करीब 6 महीने पहले वैशाली की रिश्ता विशाल के साथ तय हुआ था। विशाल बेंगलुरु में आईटी कंपनी में काम करता है। दोनों साथ घूमते थे। वक्त बिताते थे, लेकिन एक दिन विशाल की मां ने वैशाली के घरवालों के सामने दहेज की मांग रख दी। वैशाली को डर था कि शादी से पहले जो दहेज मांग रहा है, वो शादी के बाद भी दहेज के लिए प्रताड़ित कर सकता है, इसलिए उसने शादी तोड़ दी। वैशाली और उसका परिवार तब से समाज का विरोध झेल रहे हैं।
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अब बिजनेसमैन परिवार की युवती की कहानी जानिए
शादी में 95 लाख खर्च किए, कुछ महीने बाद अलग
उत्तर प्रदेश की रहने वाली 25 साल की युवती बड़े उद्योगी परिवार में पली-बढ़ी। उसने बी. कॉम किया। शादी का फैसला लिया। शादी 9 दिसंबर 2020 में हिंदू रीति-रिवाजों से भोपाल के रहने वाले अंकित शर्मा से हुई। शादी में युवती के परिवार का 95 लाख रुपए खर्च हो गए। शादी के कुछ ही महीने बाद दहेज के कारण दोनों के रिश्तों में दरार आ गई।
युवती ने बताया कि मैं शादी करके भोपाल अंकित के घर रहने लगी। उसके घर पर उसके माता, पिता और बड़ा भाई रहता था। शादी में पापा ने 10 लाख रुपए नकद दिए थे। साथ ही, सोने और चांदी के जेवरात और कार गिफ्ट की थी। शादी के दो महीने बाद से ही सास कहती थी, ‘जितना संपन्न तुम्हारा परिवार खुद को बताता है, वह उतना है नहीं। न तो हमारा स्वागत अच्छा हुआ और न दहेज में कुछ खास दिया है।’ मुझे रोज ये ताने मिलते थे। जब मैं अंकित को यह सब बताती, तो वह अपनी मां की साइड लेता। वह मुझे मारता। उसे जो मिलता- बेल्ट, बेलन या बोतल से पीटता था।
एक दिन उसने कहा कि वह भोपाल में ही अलग मकान खरीदना चाहता है। इसके लिए मैं अपने पिता से पैसों की मांग करूं। मुझे लगता था कि ऐसा करने से शायद रिश्ता सुधर जाए। मेरे पिता ने 5 लाख रुपए जेठ के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए। ऐसा अंकित ने करने को कहा था, लेकिन अब धीरे-धीरे परिवार की डिमांड बढ़ने लगी थी। मुझे मानसिक तनाव होने लगा। जब मैं परिवार से कुछ भी लेने से मना करती, तो अंकित पीटने लगता।
प्रेग्नेंट हुई तो उन्होंने अबॉर्शन करा दिया
साल 2021 में मैं प्रेग्नेंट हुई। मैं खुश थी। लग रहा था कि जीवन में नए मेहमान के आने से अंकित सुधर जाएगा, लेकिन मेरी उपेक्षा के उलट अंकित गुस्सा हो गया। उसने मुझसे कहा कि उसे इतनी जल्दी बच्चा नहीं चाहिए। मैं मायके जाकर इस बच्चे को गिरवा दूं। मैंने मना कर दिया। मैं इस बच्चे को जीवन देना चाहती थी। मैं दो महीना प्रेग्नेंट थी। अंकित ने मुझे एक दवा खिलाई यह कहकर कि यह नॉर्मल गोली है, लेकिन यह गर्भपात के लिए गोली थी, जो मैंने खा ली। मेरी इच्छा के विरुद्ध गर्भपात हो गया। यह मेरे लिए किसी सदमे से कम नहीं था। हमारी शादी को दो साल हो चुके थे।
मैं बस किसी तरह समय काट रही थी। लगता था कि शायद समय के साथ संबंध सुधर जाएंगे। माता-पिता ने शादी में इतना पैसा लगाया था कि मैं अब वापस नहीं जा सकती थी। मुझे अब अंकित के साथ रहना अच्छा नहीं लगता था। घुटन होने लगी थी। जब वह मुझे छूता तो घिन आती थी। मैं अपने मरे हुए बच्चे के बारे में सोचने लगती। जब मैं शारीरिक संबंध बनाने से मना करती, तो अंकित मुझे मारता और गालियां देता। मैं रोती थी। चिल्लाती थी। मगर, किसी को फर्क नहीं पड़ता था।
पति ने अप्राकृतिक संबंध का दबाव बनाया
वह मेरी इच्छा के विरुद्ध मुझसे अप्राकृतिक संबंध बनाने के लिए दबाव डालता था। एक रात उसने शादीशुदा रिश्ते की सब मर्यादाएं लांघ दीं। मैं बहुत रो रही थी, लेकिन उसके बल के आगे मैं कुछ नहीं कर पा रही थी। मैं जब सेक्स करने के लिए मना करती थी, वह मुझे धमकी देता था कि उसने मुंह छिपाकर कई वीडियो बना लिए हैं। अगर मना किया तो वह ये वीडियो इंटरनेट पर डाल देगा। परेशान होने के बाद मैं महिला थाने शिकायत दर्ज कराने गई।
दहेज के लिए इतना प्रताड़ित किया की दे दी जान
इस साल अप्रैल में 23 साल की युवती ने भोपाल के टीटी नगर में आत्महत्या कर ली थी। पुलिस ने पति और ससुरालवालों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज किया। मई के महीने में याचिका पर सुनवाई करते हुए जबलपुर हाई कोर्ट ने कहा कि दहेज प्रताड़ना के कारण आत्महत्या भी दहेज हत्या के दायरे में आती है। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, 2017 और 2022 के बीच भारत में 35,493 दहेज हत्याएं दर्ज की गईं।
भोपाल महिला थाने ने पुष्टि की कि 2022 में दहेज के 206 वास्तविक मामले दर्ज किए गए थे। दहेज के चलते हर महीने मध्यप्रदेश में 45 महिलाएं मामला दर्ज करवाती हैं। वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार दहेज समय के साथ बढ़ता जा रहा है। इसकी रकम भी बढ़ रही है।