Vats Gotra Meaning In Hindi – वत्स गोत्र क्या है, वत्स कौन होते है ?

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नमस्कार दोस्तों, आज हम जानेंगे Vats Gotra Meaning In Hindi, गोत्र क्या होते हैं ? Vats Gotra का महत्व क्या है और हमारे हिंदू धर्म वत्स गोत्र का इतिहास क्या है, Vats Kon Hote Hai आइये जानते है Vats Gotra के बारे में।

गोत्र क्या होता है ?

गोत्र का शाब्दिक अर्थ होता है गो मतलब “इन्द्रियां” और ‘त्र’ से आशय है ‘रक्षा करना” . अंत में स्पष्ट होता है कि यह ऋषि-मुनियों से जुड़ा हुआ है। ब्राह्मणों के लिए गोत्र बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है .

Vats Gotra का परिचय : वत्स या वंश या बत्स या वंश भारत के यह 16 महाजनपदों में से एक है वत्स का साम्राज्य गंगा, जमुना नदी के इलाहाबाद दक्षिण दिशा में बसा हुआ था, जिसकी राजधानी कौशाम्बी है।

Vats Kon Hote Hai – वत्स किसे कहते है ?

Vats Gotra या वंश के प्रवर्तक भृगुवंशी वत्स ऋषि थे।

वत्स गोत्र का महत्व क्या है ?

Vats को वात्स्यायन वंश भी कहते हैं. Vats Gotra प्रवर्तक भृगुवंशी वत्स ऋषि थे। वत्स को दूसरे भाषा में पढ़ा जाए तो वत्स को वंश कहा गया है। तत्सामयिक अर्धमगधी भाषा में इसे वच्छ का नाम दिया है

किसी भी तरह के गोत्र यह बताते हैं कि वह पुराने समय के महान ऋषि, मुनियों के संबंध से जुड़े हुए है।

History Of Vats Gotra – वत्स गोत्र का इतिहास :

वत्सदेश की उत्पत्ति संबंध काशी के चंद्रवंशी राजा से जुड़ा हुआ है जो काशी के राजा थे दिवोदास उनके पुत्र का नाम वक्त वत्स था जो काशी के कुछ इलाके में विजय प्राप्त की थी।

और वह भूमि वस्त्र भूमि के नाम से प्रसिद्ध हो गई थी। वत्स राज्य उतरी भारत के प्रदेशों में से चार राज्यों में सबसे बड़ा राज्य है। भ्रिगु, पुलत्स्य, पुलह, क्रतु, अंगिरा, मरीचि, दक्ष, अत्रि तथा वशिष्ठ

नौ मानस में पुत्रों में ब्रह्मा जी ने प्रजा की उत्पत्ति के लिए काम का भार सौंपा। तब उस समय में ऋषयो का नाम गोत्र के नाम से प्रचलित हो गया। चुने गए जो मानस पुत्रों में भृगु ऋषि गोत्रोत्पन्न वत्स राज्य की उत्पत्ति के लिए इसका अधिकार प्राप्त हुआ था।

वत्स गोत्र के प्रवर :

  • भार्गव
  • च्यवन
  • आप्रवान
  • और्व
  • जमदग्नि

वत्स गोत्र के वंशज :

(ब्राह्मण) शोनभद्र,(सोनभदरिया), बछ्गोतिया, बगौछिया, दोनवार, जलेवार, शमसेरिया, हथौरिया, गाणमिश्र, गगटिकैत और दनिसवार आदि।

About Vats Gotra in Hindi

एक कथा में पढ़ा गया है कि महर्षि च्यवन और महाराज शर्यातपुत्री सुकन्या के पुत्र राजकुमार दधीचि की दो पत्नियां थी ,जिसमे पहली का नाम सरस्वती और दूसरी का नाम अक्षमाला था। .

जिसमें सरस्वती के पुत्र का नाम उनके नाम से ही जुड़ा हुआ था सारस्वत। और दूसरी पत्नी के पुत्र का नाम वत्स रखा गया। इन्होने आगे चलकर अपना खुद का एक वंश चलाया। उनके कुल के लोगों वस्त्र का गोत्र रखते हैं।

Vats Gotra Surnames In Hindi

भागवत, भैरव, भट्ट, दाबोलकर, गांगल, गार्गेकर, घाग्रेकर, घाटे, गोरे, गोवित्रीकर, हरे, हीरे, होले, जोशी, काकेत्कर, काले, मल्शे, मल्ल्या, महालक्ष्मी, नागेश, सखदेव, शिनॉय, सोहोनी, सोवानी, सुग्वेलकर, गादे, रामनाथ, शंथेरी, कामाक्षी आदि।

वत्स जाट गोत्र की शाखाएं :

चौहान गोत्र वत्स गोत्र की शाखा है पर कई लोग यह नहीं जानते। वह चौहान गोत्र कौन राजपूत गोत्र विशाखा मानते हैं

  • फोगाट
  • नरवाल
  • देवड़ा
  • हाड़ा
  • बुरड़क

वत्स गोत्र क्षत्रिय :

ये राजवंश वत्स गोत्रीय चौहान की शाखा है। राजौर से ये लोग खीरी, शाहाबाद, पटना, दियरा, सुल्तानपुर, छपरा, मुजफ्फरपुर आदि में है।

Vats Gotra Ki Kuldevi Kaun Hai ?

सिद्धा वत्स गोत्र की कुलदेवी का नाम है।

FAQs About Vats Gotra Meaning In Hindi :

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